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वो वंशवाद के परिचायक, ये गरीब है जननायक


वो वंशवाद के परिचायक थे ये “गरीब” है जननायक । वो जनता के शोषक थे ये हर गरीब का पोषक है। वो अपना घर भरते थे ये गरीब को घर देता है। वो सोने की चम्मच वाले ये मेहनत, मजदूरी … Continue reading

तुम्हें याद तो आता होगा


​उन शहीदों की याद में चंद लाइनें जो देश पर कुर्बान हो गए :

जगमगाती रोशनी में आज तुम जो रोशन हो

किसी ने इसकी खातिर कुर्बानियों के दीप जलाये होंगे।।

मनाते हो तुम हर रोज खुशियों की जो दीवाली,

उसे संजोने वाला तुम्हे याद तो आता होगा ।

याद आती होगी किसी अबला की भीगी आँखें,
जिसके माथे का सिंदूर खुद को मिटा गया,

कि तुम्हारा सुहाग सलामत रहे ।।

याद आता होगा किसी माँ का सूना आँचल,

जिसका लाल सदा के लिए सो गया।।

गूंजती होगी कानों में उन चूड़ियों की खनक,

जो प्रिय की आस लिये ही खामोश हो गयी ।।

महसूस तो होता होगा दर्द उस बहन का,

जिसकी राखी इंतजार कर रही है भाई की कलाई का ।।

जब घर के बच्चे ढेरों फरमाइशे,
एक के बाद एक सुनाते है तब।।

एक बंदूक और ढेर सारे खिलौनों की आस में,

टकटकी लगाए मासूम तुम्हे याद तो आता होगा ।।

बरसात में कोई टपकती छत देख कर ,

याद आई होगी खत में लिखी वो बातें 

की पानी टपकता है छत से बरसात में

अबकी घर की छत पक्की करवा दूंगा।।

अपने बूढ़े पिता को सहारा देते हुए तुमको …..

दरवाजे को ताकता, सहारे को तरसता

वो बाप जिसकी लाठी कारगिल में खो गई
कि जिसका बेटा देश पर कुर्बान हो गया
तुम्हें याद तो आता होगा ……………

जब भी महसूस होती होगी तुम्हें

सर्दी बारिश की कंपकंपाती ठिठुरन

तब बर्फीले तूफान में, पर्वतों की चोटियों पर
सीमा पर टकटकी लगाये
वो जवान तुम्हे याद तो आता होगा ।।

जब सहलाती है माँ तुमको दुलार से

माँ की ममता से दूर, पिता की छांव से सुदूर

बहन के प्यार बिना, पत्नी-पुत्र मोह से अलग

तपती दुपहरी में,रेगिस्तानी झंझावात में
सीमा पर खड़ा सैनिक तुम्हें याद तो आता होगा।। 

अखबार के पन्नों पर आतंक की खबर देखकर
दुश्मन की नजर के आगे, देशद्रोहियों के बीच
बमों की थरथर्राहटो और सहस्र गोलियों के बीच
वीरान सरहद पर अडिग सैनिक याद तो आता होगा।।

जब लड़ते है सब जाति धर्म के नाम पर तब

रक्षा का संकल्प लिए सीमा पर अडिग खड़ा

जिसका न समाज न संप्रदाय न जाति न धर्म
बस देश सेवा का संकल्प लिए वो सैनिक तुम्हे
याद तो आता होगा…….

“निखिल दाधीच”