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वो वंशवाद के परिचायक, ये गरीब है जननायक


वो वंशवाद के परिचायक थे ये “गरीब” है जननायक । वो जनता के शोषक थे ये हर गरीब का पोषक है। वो अपना घर भरते थे ये गरीब को घर देता है। वो सोने की चम्मच वाले ये मेहनत, मजदूरी … Continue reading

मैं हिन्दू हो गया 


​भारत का नौजवान सयाना हो गया 

कोई पंडित तो कोई ठाकुर हो गया
सबको अपनी जात पे गुमान हो गया 

कोई दलित तो कोई बनिया हो गया
मेरा मान हिन्द था, हिन्द रह गया 

मैं ठहरा गंवार,मैं “हिन्दू” ही रह गया

तुम्हें याद तो आता होगा


​उन शहीदों की याद में चंद लाइनें जो देश पर कुर्बान हो गए :

जगमगाती रोशनी में आज तुम जो रोशन हो

किसी ने इसकी खातिर कुर्बानियों के दीप जलाये होंगे।।

मनाते हो तुम हर रोज खुशियों की जो दीवाली,

उसे संजोने वाला तुम्हे याद तो आता होगा ।

याद आती होगी किसी अबला की भीगी आँखें,
जिसके माथे का सिंदूर खुद को मिटा गया,

कि तुम्हारा सुहाग सलामत रहे ।।

याद आता होगा किसी माँ का सूना आँचल,

जिसका लाल सदा के लिए सो गया।।

गूंजती होगी कानों में उन चूड़ियों की खनक,

जो प्रिय की आस लिये ही खामोश हो गयी ।।

महसूस तो होता होगा दर्द उस बहन का,

जिसकी राखी इंतजार कर रही है भाई की कलाई का ।।

जब घर के बच्चे ढेरों फरमाइशे,
एक के बाद एक सुनाते है तब।।

एक बंदूक और ढेर सारे खिलौनों की आस में,

टकटकी लगाए मासूम तुम्हे याद तो आता होगा ।।

बरसात में कोई टपकती छत देख कर ,

याद आई होगी खत में लिखी वो बातें 

की पानी टपकता है छत से बरसात में

अबकी घर की छत पक्की करवा दूंगा।।

अपने बूढ़े पिता को सहारा देते हुए तुमको …..

दरवाजे को ताकता, सहारे को तरसता

वो बाप जिसकी लाठी कारगिल में खो गई
कि जिसका बेटा देश पर कुर्बान हो गया
तुम्हें याद तो आता होगा ……………

जब भी महसूस होती होगी तुम्हें

सर्दी बारिश की कंपकंपाती ठिठुरन

तब बर्फीले तूफान में, पर्वतों की चोटियों पर
सीमा पर टकटकी लगाये
वो जवान तुम्हे याद तो आता होगा ।।

जब सहलाती है माँ तुमको दुलार से

माँ की ममता से दूर, पिता की छांव से सुदूर

बहन के प्यार बिना, पत्नी-पुत्र मोह से अलग

तपती दुपहरी में,रेगिस्तानी झंझावात में
सीमा पर खड़ा सैनिक तुम्हें याद तो आता होगा।। 

अखबार के पन्नों पर आतंक की खबर देखकर
दुश्मन की नजर के आगे, देशद्रोहियों के बीच
बमों की थरथर्राहटो और सहस्र गोलियों के बीच
वीरान सरहद पर अडिग सैनिक याद तो आता होगा।।

जब लड़ते है सब जाति धर्म के नाम पर तब

रक्षा का संकल्प लिए सीमा पर अडिग खड़ा

जिसका न समाज न संप्रदाय न जाति न धर्म
बस देश सेवा का संकल्प लिए वो सैनिक तुम्हे
याद तो आता होगा…….

“निखिल दाधीच”

कितनों ने सम्मान लौटाया ?


याद करो नौखाली जब कितने हिन्दू सर काटे थे।
हिन्दू अस्मत नीलाम हुई,क्यूँ बोल ना मुंह से फूटे थे।
गांधी नेहरू से ठेकेदार भी जब मांद में छुपकर बैठे थे।
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनो ने सम्मान लौटाया ?

जब इंदिरा ने आपात लगाया तब क्यूँ देश नजर ना आया?
सिसक रहा था लोकतंत्र काली अंधियारी रातों में।
आजादी थी बंधक और बेड़ी थी जे पी के पाँवो में।
तब कितनों ने आवाज उठाई? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

चौरासी में सिखों को जब मौत के घाट उतारा था।
एक तानाशाह की मौत के बदले कितने निर्दोषो को मारा था।
उन खून सने हाथो से लेकर तमगा, तूम मन में फूले थे।
लेकिन बतलाओ तब कितनों ने आवाज उठाई और कितनों ने सम्मान लौटाया?

नब्बे की काली रातों में जब बेघर हिन्दू रोये थे।
ना जाने कितनी माँओ ने आँख के तारे खोये थे।
जब घाटी के चौराहो पर बहनों की अस्मत लूटी थी
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

मुलायम ने डायर बनकर जब रामभक्तों को मारा था।
यूपी पुलिस की बंदूको से, बरसा मौत का लावा था।
सरयू का पानी लाल हुआ और मौत का मातम पसरा था ।
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

शोक मनाओ बेशक तुम बिसहाड़ा के पंगो पर
क्यों बोल नहीं निकले थे मुंह से भागलपुर के दंगो पर।
जब हत्यारों ने मासूमों के खून से होली खेली थी
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

एक दादरी याद रहा क्यों मूडबिडरी भूल गए ?
एक हिन्दू की हत्या पर होंठ क्यों सबके चिपक गए ?
गौ माता के देश में जब हिन्दू गौरक्षक मरते है
कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

Written By : निखिल दाधीच

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रक्षा बंधन

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रक्षा बंधन भाई -बहन के निश्छल प्रेम का त्यौहार है. सूनी कलाईयां और राखियाँ एक दूसरे की बाट जोहती हैं |बहने अपने भाई की  कलाई पर रखी बाँध कर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है और उसके लिए अनेक … Continue reading

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अकबर कैसे हो गया महान


  भ्रष्ट राज के चंद हितेषी इतिहास बदलने को कहते है सिकंदर गौरी गजनि बाबर अकबर महान कहते है एक बात पुछना चाहता हु सता के ठेकेदारो से अकबर कैसे हो गया महान , महाराणा कयुं ना महान हुआ जो … Continue reading

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मेरे मालीक मेरे मौला


मेरे मालीक मेरे मौला , तु आज अता कर दे इतना तु आज अता कर दे इतना , दौलत ना अता कर तु चाहे शौहरत ना अता कर तु चाहे , बस आज अता कर दे इतना खुशियों से सब … Continue reading