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कारण : मैं कोंग्रेस को कभी वोट क्यों नहीं देता


#सत्य_घटना पोस्ट बड़ा है पर एकबार जरूर पढ़ें। आज एक मजेदार वाकया हुआ, मैं चाय की दुकान पर चाय पी रहा था। पास ही एक बुजुर्ग चाचा बैठे थे उनकी किसी कोंग्रेसी से बहस चल रही थी। चाचा मोदी समर्थक … Continue reading

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वो वंशवाद के परिचायक, ये गरीब है जननायक


वो वंशवाद के परिचायक थे ये “गरीब” है जननायक । वो जनता के शोषक थे ये हर गरीब का पोषक है। वो अपना घर भरते थे ये गरीब को घर देता है। वो सोने की चम्मच वाले ये मेहनत, मजदूरी … Continue reading

कितनों ने सम्मान लौटाया ?


याद करो नौखाली जब कितने हिन्दू सर काटे थे।
हिन्दू अस्मत नीलाम हुई,क्यूँ बोल ना मुंह से फूटे थे।
गांधी नेहरू से ठेकेदार भी जब मांद में छुपकर बैठे थे।
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनो ने सम्मान लौटाया ?

जब इंदिरा ने आपात लगाया तब क्यूँ देश नजर ना आया?
सिसक रहा था लोकतंत्र काली अंधियारी रातों में।
आजादी थी बंधक और बेड़ी थी जे पी के पाँवो में।
तब कितनों ने आवाज उठाई? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

चौरासी में सिखों को जब मौत के घाट उतारा था।
एक तानाशाह की मौत के बदले कितने निर्दोषो को मारा था।
उन खून सने हाथो से लेकर तमगा, तूम मन में फूले थे।
लेकिन बतलाओ तब कितनों ने आवाज उठाई और कितनों ने सम्मान लौटाया?

नब्बे की काली रातों में जब बेघर हिन्दू रोये थे।
ना जाने कितनी माँओ ने आँख के तारे खोये थे।
जब घाटी के चौराहो पर बहनों की अस्मत लूटी थी
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

मुलायम ने डायर बनकर जब रामभक्तों को मारा था।
यूपी पुलिस की बंदूको से, बरसा मौत का लावा था।
सरयू का पानी लाल हुआ और मौत का मातम पसरा था ।
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

शोक मनाओ बेशक तुम बिसहाड़ा के पंगो पर
क्यों बोल नहीं निकले थे मुंह से भागलपुर के दंगो पर।
जब हत्यारों ने मासूमों के खून से होली खेली थी
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

एक दादरी याद रहा क्यों मूडबिडरी भूल गए ?
एक हिन्दू की हत्या पर होंठ क्यों सबके चिपक गए ?
गौ माता के देश में जब हिन्दू गौरक्षक मरते है
कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

Written By : निखिल दाधीच

AIMIM (आल इंडिया मजलिसें इत्तेहादुल मुसलमीन) और औवेसी भाईयों का सच


AIMIM (आल इंडिया मजलिसें इत्तेहादुल मुसलमीन) पार्टी हैदराबाद रियासत के दिनों की है. इसकी स्थापना हैदराबाद के गद्दार निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान की सलाह से निजाम समर्थक पार्टी के रूप मे  1927 में ULMA -E-Mashaeqeen की उपस्थिति में हैदराबाद राज्य के  महमूद नवाज खान किलेदार  द्वारा हुई थी और तब  यह  केवल मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) थी। इसकी  पहली बैठक 12 नवंबर 1927 को नवाब महमूद नवाज खान के घर में आयोजित की गयी थी ।
MIM भारत के साथ एकीकरण की विरोधी थी इसका उद्देश्य स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बनाना था !!

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Indira with owaisi

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इंदिरा गांधी

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डर के मारे पेंट मे पेशाब करते अकबरूदीन औवेसी

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Salauddin owaisi

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1938 मे बहादूर यार जंग इसके अध्यक्ष चुने गये । बाद मे ब्रिटीश भारत मे इसका मुस्लिम लीग (जो शुरू से  धार्मिक आधार पर अलग पाकिस्तान की माँग कर रही थी ) के साथ इसका गठबंधन हो गया ।
भारत के साथ विलय का विरोध करने के उद्देश्य से एक मुस्लिम अलगाववादी  संगठन  (The Razakars ) को MIM के साथ जोड़ा गया । तक़रीबन 150000 -200000 सशस्त्र मुस्लिम अलगाववादीयो  को भारतीय सेना के साथ लड़ाई और स्वतंत्र हैदराबाद बनाने के लिये तैयार किया गया था. 

लेकिन सरदार पटेल की सुझबूझ और त्वरित निर्णय से गद्दारो के मंसुबो पर पानी फिर गया । पटेल जी बदौलत भारत हैदराबाद का विलय करने मे सफल रहा । हैदराबाद के भारत मे विलय के साथ ही 1948 मे इस नापाक संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया । इसके तत्कालीन नेता कासिम रिजवी को जेल मे डाल दिया गया । 1957 मे कासिम रिजवी भारत सरकार के सामने रिहाई के लिये गिड़गिड़ाया उसे तुरंत भारत छोड़कर पाकिस्तान जाने की शर्त पर 1957 मे रिहा किया गया

अब सवाल यह आता है कासिम रिजवी कौन था?

हैदराबाद रियासत मे बेशक निजाम का शासन था लेकिन वहाँ की जनसंख्या हिन्दू बहुल थी । कासिम रिजवी उच्च न्यायालय का वकील और निजाम का करीबी सहयोगी सलाहकार था जिसने हैदराबाद मे स्वतंत्र मुस्लिम शासन का सदैव समर्थन किया  इसलिये उसने सशस्त्र मुस्लिम अलगाववादी सेना(The Razakars ) तैयार की

पाकिस्तान मे विलय असंभव और हिन्दू बहुल राज्य होने के कारण हैदारबाद को स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बनाने हेतु  रिजवी ने निजाम को कट्टरपंथी रास्ता चुनने के लिये तैयार किया  और अलगाववादी सेना को हिन्दूओ को प्रताड़ित करने का आदेश दिया उसका साफ मानना था कि जो कोई  विरोध करे उन्हे मार दिया जाये

ऐसे मुसलमान और दुसरे  लोग जिन्होने भारत के साथ विलय समर्थन किया और रिजवी का विरोध किया उन्हे मार दिया गया
रिजवी के इशारे पर हिन्दूओ को मारा गया लूटा गया औरतो के साथ बलात्कार किये गये और इसके लिये बाकायदा उसने अपनी  अलगाववादी सेना को आदेश देकर अभियान चलाया ताकि हैदराबाद से हिन्दूओ का नामोनिशान मिटाया जा सके

रिजवी जो कि MIM के संस्थापको मे से था बहादूर यार जंग की मौत के बाद इसका अध्यक्ष बन गया
सरदार पटेल के साथ रिजवी की दिल्ली मे एक बैठक हुई और पटेल की पारखी नजरो ने तत्काल रिजवी के मंसुबो को पढ़ लिया और भारतीय सेना को आपरेशन पोलो का आदेश दे दिया जिसमें रिजवी और उसकी अलगाववादी सेना को मुँह की खानी पड़ी । रिजवी को जेल मे डाल दिया गया 1957 मे भारत छोड़कर पाकिस्तान जाने की शर्त पर रिहा किया गया
पाकिस्तान जाने के पहले कासिम रिजवी ने MIM (मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन ) की जिम्मेदारी अब्दुल वाहिद औवेसी को सौंप दी जिसकी मृत्यु के बाद उसका बेटा सल्लाहुद्दिन औवेसी ने 1975 मे इसका कार्यभार संभाला । अब इसका नाम AIMIM ( आल इंडिया मजलिसें इत्तेहादुल मूसलमीन) हो गया । सल्लाउद्दीन औवेसी को पार्टी के सलार -ए -मिल्लत (मुस्लिम समाज का प्रमुख ) से नवाजा गया।

सलाउद्दीन औवेसी  :

सलाउद्दीन औवेसी का जन्म  14-2-1931 को हुआ था । सलाउद्दीन के तीन बेटे असद्दूदीन  औवेसी, अकबरुद्दीन औवेसी और बूरहानुद्दीन औवेसी हुए और एक बेटी हुई जिसकी शादी सलाउद्दीन के भतीजे अमीनूद्दीन औवेसी से हुई !!!!

सलाउद्दीन औवेसी लगातार (84-99) तक छ बार सासंद चुना गया । इसके पहले लगातार दो बार विधान सभा के लिये चुना गया 1978 और 1983)

सलाउद्दीन का अक्सर अपने भाषणों मे मुसलमानों को भड़काता था ।  मुसलमानों को गुमराह करने के लिये कहता था कि मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है मुसलमानों को अपने हक के लिये लड़ना चाहिये और अपने पैरो पर खड़ा होना चाहिये वह देश और राज्यों पर मुसलमानों की अनदेखी का झूठा आरोप अक्सर अपने भाषणों मे लगाकर भोलेभाले मुसलमानों को भड़काता था । यही कारण है मुसलमान बहकावे मे आते गये और वह एक कट्टर मुस्लिम नेता के रूप मे उभर कर सामने आया जिसने धीरे धीरे पूरे आंन्ध्रा मे अपना प्रभाव फैलाने शूरू कर दिया । नफरत की राजनीति मे सलाउद्दीन ने अपना सिक्का पूर्ण रूप से जमा लिया और मुसलमानों को अपने इशारे पर नाचने वाला वोटबैंक बना लिया   28-09-2008 को सलाउद्दीन औवेसी की मृत्यु हो गयी

मौलाना अब्दुल वाहिद औवेसी  :

कहा जाता है कासिम रिजवी ने जब   मौलाना अब्दुल वाहिद औवेसी को जब मजलिसें इत्तेहादुल मुसलमीन सौपा उस वक्त रिजवी ने कहा था कि स्वतन्त्र मुस्लिम राज्य का मेरा सपना अधूरा है जिसे तुमको पूरा करना है
असल मे वाहिद औवेसी को MIM सौंपने के पीछे सबसे बड़ा कारण भी यही था की वाहिद औवेसी कट्टर हिन्दू और भारत विरोधी था ।
भारत  के विरुद्ध जहर उगलना औवेसीयों के लिये नयी बात नहीं है असल मे इनकी पूरी बुनियाद ही भारत और हिन्दू विरोध पर टिकी है ।

अब्दुल वाहिद औवेसी को भारत विरोधी भाषण देने के कारण 14 मार्च 1958 मे जेल मे डाला गया था
जहाँ वह 11महिने से अधिक जेल मे रहा
अब्दुल वाहिद औवेसी को हैदराबाद पोलिस के आदेश पर 3(1) उपधारा (2) Preventive Detention Act, 1950 के तहत गिरफ्तार किया गया था ।
वाहिद औवेसी को उसके  5  ओक्टोबर ,12 ओक्टोबर ,23 ओक्टोबर ,24th ओक्टोबर  1957  और 15 नवम्बर  1957 और 9 जनवरी 1958 को दिये गये भाषणों मे  साम्प्रदायिक भावनाएँ भड़काने, सामाजिक द्वेष फैलाने और मुसलमानों को गैर मुस्लिमों और राज्य के विरूद्ध  हिंसा के लिये उकसाने,  समाज मे आतंक हिंसा और नफरत फैलाने के आधार पर गिरफ्तार किया गया था  । 
अब्दुल वाहिद औवेसी को जब गिरफ्तार किया गया तब वह तत्कालिन MIM का अध्यक्ष था । कासिम रिजवी को 17 सितंबर 1957 को 48 घंटे मे भारत छोड़ने की शर्त पर रिहा किया गया ।
18 सितंबर 1957 को अब्दुल वाहिद औवेसी ने MIM का नाम बदल कर AIMIM कर दिया और लोगो को भड़काने का काम शुरू कर दिया ।
सरदार पटेल ने MIM पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन देश के सबसे बड़े बेवकुफ और रंगीन मिजाज नेता तथाकथित चाचा नेहरू ने MIM पर से प्रतिबंध हटा लिया

सल्लाउद्दीन औवेसी ने अब्दुल वाहिद औवेसी की गिरफ्तारी को 20 जून 1958 को आन्ध्रा प्रदेश उच्च न्यायालय मे चुनौती दी जिसे उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 22(5) के तहत गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए  1 अगस्त 1958 को खारिज कर दिया

अब्दुल वाहिद औवेसी ने मुस्लिम संगठन MIM को पुनर्जिवित करने के लिये काफी प्रयास किये लेकिन अपने नापाक मंसूबो मे कामयाब नहीं हो पाया
अब्दुल वाहिद औवेसी के मरने के बाद सल्लाउद्दीन औवेसी 1976 मे AIMIM का अध्यक्ष बना
असद्दूदीन औवेसी सलाउद्दीन औवेसी और नजमूनिशा का सबसे बड़ा बेटा है

असद्दूदीन की दो शादियाँ हुई वर्तमान फरहीन औवेसी है जिसके साथ 1996 मे शादी हुई 

असद औवेसी अपने बाप से भी दो कदम आगे है । यह हिन्दू विरोधी अक्सर अपने भाषणों मे हिन्दूओ के विरूद्ध जहर उगलता रहता है । इस पर कई भड़काऊ भाषण देने के मामले दर्ज है और कई मामलो मे गिरफ्तार भी किया जा चुका है । आपराधिक पृष्ठभूमि का यह व्यक्ति मुसलमानों मे हिन्दूओ के विरूद्ध जहर भरने का कोई मौका नहीं छोड़ता

सल्लाउद्दीन का दुसरा बेटा और असद औवेसी का छोटा भाई भी अपने बाप दादा के नक्शे कदम पर ही चल रहा है बल्कि उनसे भी दो कदम आगे है

दोनो भाई अक्सर  मुसलमानों को हिन्दूओ के खिलाफ भड़काते रहते है
अकबर औवेसी जैसा दो कौड़ी का चिंदी चोर अपने ही घर मे किराये की भीड़ के सामने शेर बनकर दहाड़ने की कोशिश करता रहता है , अकबरूद्दीन औवेसी कहता है – मैं सिर्फ मुस्लिम परस्त हूं, उसे अजमल कसाब को फांसी दिये जाने का सख्त अफसोस है, वह टाइगर मेनन जैसे आतंकी का हमदर्द है, वह मुम्बई के बम धमाकों को जायज ठहराता है, देश के मुम्बई संविधान, सेकुलरिज्म और बहुलतावादी संस्कृति की खिल्ली उड़ता है। कहता है, हम तो दफन होकर मिट्टी में मिल जाते है मगर हिन्दू जलकर फिजा में आवारा की तरह बिखर जाते है, वह देश के दलितों व आदिवासियों को दिये गये रिजर्वेशन पर सवाल खड़े करता है और इन वर्गों की काबिलियत पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है।

औवेसी की नजर में भारत जालिमों का मुल्क है, दरिन्दों का देश है, जहां पर मुसलमान सर्वाधिक सताये जा रहे है, उसने गुजरात से लेकर आसाम तक के उदाहरण देते हुये आदिलाबाद की सभा में मौजूद लोगों को उकसाया कि हमसे मदद मत मांगों खुद ही हिसाब बराबर कर दो, बाद में हम सम्भाल लेंगे।

इस आस्तीन के साँप को बहुत सारे हिसाब चाहिए, अयोध्या का बदला चाहिये, गुजरात का प्रतिरोध चाहिये, खुलेआम खून खराबा चाहिये, मुस्लिम राज्य चाहिये , हद तो यह है कि देश के खिलाफ जंग छेड़ने की धमकी देते हुये वह मुल्क के अन्य धर्मों के लोगों को ‘‘नामर्दों की फौज’’ कहता है, और राम को राम जेठमलानी के बहाने इतिहास का ’सबसे गंदा आदमी बताता है जो औरतों का एहतराम नहीं करता था।’

औवेसी की ख्वाहिश है कि महज 15 मिनट के लिये इस मुल्क से पुलिस हटा ली जाये तो वो हजार बरस के इतिहास से ज्यादा खून खराबा करने की ताकत रखता है और देश के 25 करोड़ मुसलमान इस देश का इतिहास बदलने की हिम्मत!!!!!! बकौल औवेसी तबाही और बर्बादी हिन्दुस्तान का नसीब  बन जायेगा। ऐसा ही प्रलाप, भाड़े के टट्टूओं की भीड़ में, अल्लाह हो अकबर के उन्मादी नारों के बीच में आंध्रप्रदेश असेम्बली के इस विधायक ने किया, उसने पूरे मुल्क को एक बार नहीं कई-कई बार ललकारा, जिसकी जितने कड़े शब्दों में निन्दा की जाये वह कम है। औवेसी को अपना ‘एक कुरान, एक अल्लाह, एक पैगम्बर, एक नमाज,‘ होने का भी बड़ा घमण्ड है, उसके मुताबिक बुतपरस्तों के तो हर 10 किलोमीटर पर भगवान और उनकी तस्वीरें बदल जाती है, इस मानसिक दिवालियेपन का क्या करें, कौन से पागलखाने में इस पगलेट को भेजे जो उसे बताये कि ‘तुम्हारा एक तुम्हें मुबारक, हमारे अनेक हमें मुबारक’ लेकिन औवेसी, हबीबे मिल्लत, पैगम्बर की उम्मत, यह तुम्हारा प्राब्लम है कि तुम्हारे पास सब कुछ ‘एक’ ही है, क्योंकि बंद दिमाग न तो महापुरूष पैदा करते है और न ही दर्शन, न पूजा पद्धतियां विकसित होती है और न ही ढेर  सारी किताबें मुकद्दस। वे बस एक से ही काम चलाते हैं बेचारे, अनेक होने के लिये दिमाग की जरूरत होती है, धर्मान्ध, कट्टरपंथी लोगों का मस्तिष्क ठप्प हो जाता है, वे नयी सोच, वैज्ञानिक समझ, तर्क और बुद्धि विकसित ही नहीं कर पाते है, खुद नहीं सोचते, सिर्फ उनका अल्लाह सोचता है, वे सिर्फ मानते है, जानते कुछ भी नहीं, इसलिये नया कुछ भी नहीं होता, सदियों पुरानी बासी मान्यताएं दिमाग घेर लेती है और हीनता से उपजी कट्टरता लोगों को तालिबानी बना देती है।

यह बात अलग है कि जब इस गंदी नाली के कीड़े को जेल मे डाला जाता है तो इसकी सारी हेकड़ी निकल जाती है और ये अपने बयानो मे बकरी की तरह मिमियाते हुए कहता है मेरे ऊपर बूरी आत्मा का साया आ गया था उसने मेरे से ये सब कहलवाया था अब इस गधे से कोई पुछे की वो बूरी आत्मा का साया क्या तेरे बाप का था और तो जब जेल मे डाला गया तो अंदर पिशाब तक जनाब ने कर दिया फिर भी ख्वाब 100 करोड़ हिन्दूओ को मिटाने के देखता है ।

अकबर औवेसी वही दलीले अपने भाषणों मे देता है जो कासिम रिजवी दिया करता था । अगर इस सूअर को कासिम का वर्तमान संस्करण कहे तो गलत नहीं होगा

अकबरुद्दीन औवेसी की शक्ल में कासिम रिज़वी की विरासत हैदराबाद में अभी ज़िंदा है। जबकि असलियत ये  है कि आंध्र से बाहर अभी मजलिस को कोई मुसलमान घास नहीं डालता।
ये नफरत के सौदागर और हिन्दू विरोधी, भारत विरोधी अक्सर जहर उगलते है । लेकिन ये ऐसा कर सकते है क्योंकि इसके पीछे देश की सेकुलर लोबी का सबसे बड़ा हाथ है जिन्हें सिर्फ  मुस्लिम वोटो की चिंता है देश चाहे अपमान का धुंट पीये या हिन्दू पल पल मरता रहे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता और इस सब मे सबसे बड़ा हाथ है देश की सबसे बड़ी गद्दार पार्टी कोंग्रेस का

असल मे मित्रो, जब तक सरदार पटेल गृहमंत्री रहे तब तक उनके आदेश पर MIM पर 1948 से 1957 तक प्रतिबन्ध रहा, इसके सभी प्रमुख लोगो को जेल में डाल दिया गया था  लेकिन 1957 में जब जवाहर लाल नेहरु दूसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री बने तो उन्होंने देश को बांटने वाली इस पार्टी MIM पर से प्रतिबन्ध उठा लिया  और इसे एक राजनैतिक दल की मान्यता जबरदस्त विरोध के बावजूद दिलवा दी .. !!
प्रतिबन्ध उठने के बाद हैदराबाद में मुसलमानों ने MIM का बैठक बुलाया और एक कट्टर मुस्लिम अब्दुल वाहिद ओबैसी जिसके उपर कई कई आपराधिक केस दर्ज थे उसे MIM का चीफ बनाया गया फिर बाद में वाहिद के बेटे सुल्तान सलाहुद्दीन ओबैसी ने MIM की कमान सम्भाली .. सलाहुद्दीन ओबैसी और इंदिरा गाँधी में बहुत ही ज्यादा निकटता थी , इस निकटता के पीछे भी बहुत रोचक कहानी है – इंदिरा गाँधी ने सलाहुद्दीन ओबैसी को हर तरह से मदद दिया उसे खूब पैसा भी दिया गया मकसद एक ही था की किसी भी कीमत पर आंध्रप्रदेश में तेजी से लोकप्रिय नेता के तौर पर उभर रहे फिल्म अभिनेता एनटी रामाराव को रोका जाये ,, एन टी रामा राव को रोकने के लिए इंदिरा गाँधी ने बहुत ही गंदा खेल खेला जिसकी कीमत देश आज भी चूका रहा है ,, इंदिरा गाँधी ने MIM से गठबन्धन करके उसे तीन लोकसभा और आठ विधानसभा सीट पर जीत दिलाकर एक बड़ी राजनितिक ताकत दे दी और साथ ही आजाद भारत में सांप्रदायिक विद्वेष के लिये मशहूर अलगाववादी हत्यारा ताकतों को केंद्र तक का सीधा रास्ता प्रदान कर भारत में मुस्लिम अलगाववाद को फिर से हवा दी..!!

2008 में सुल्तान सलाहुद्दीन ओबैसी के मरने के बाद उसका बड़ा बेटा असद्दुदीन ओबैसी MIM का चीफ बना .. और मजे की बात ये है की आज भी इस देशद्रोही और गद्दार ओबैसी खानदान की गाँधी खानदान से दोस्ती बदस्तूर जारी है और आज दोनों ओबैसी भाई राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के अच्छे दोस्तों में शुमार किये जाते है..!!

AIMIM के सफ़र का अध्ययन करने पर कोई भी इस नतीजे पर पहुँच सकता है कि इसमें कांग्रेस का कितना बढ़ा हाथ है? कांग्रेस के समर्थन और गठबंधन के बिना मजलिस का विधान सभा में पहुँचना संभव न था। कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता ने देश को एक से बढ़कर एक कद्दावर लम्पट नेता दिए हैं।
आज अकबरुद्दीन आदिलाबाद में जिस बेअदबी के साथ भारत का अपमान करता है  क्या वह संभव होता यदि उसके बाप  सलाहुद्दीन को सांसद बनवाने में कांग्रेस ने अतीत में मदद न की होती ?

कांग्रेस के दिशाहीन और मूल्यरहित राजनीतिक व्यवहार ने देश की राजनीति को बहुत नुकसान पहुँचाया है, केरल में कम्युनिस्टों के खिलाफ मुस्लिम लीग से समझौता करना उसके वैचारिक दिवालियेपन और राजनीतिक अवसरवाद का परिणाम है जिससे देश की दक्षिण पंथी ताकतों को उसपर हमला करने का अवसर मिला बल्कि मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतों को पैर जमाने का मौक़ा मिला।

एक बार जेल मे बंद होते ही कोर्ट परिसर मे ही पेंट के अंदर मुत देने वाले अकबर औवेसी को शायद यह पता नहीं है कि जिन 100 करोड़ हिन्दूओ खत्म करने का सपना वो देख रहा है वो 100 करोड़ हिन्दू अगर एक साथ मुतेंगे तो पूरी कौम सहित बहते हुए पाकिस्तान पहुँच जाओगे

लेकिन एक बात जो सत्य है कि ऐसे लोगो को नजरंदाज करना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी क्योकि अब देश मे कोई पटेल नहीं है जो ऐसे साँपों के विषैले फन कुचल डाले इस वक्त देश मे सेकुलरीज्म का खेल चल रहा है ऐसे मे कोई भी ये जोखिम मोल नहीं लेगा की उसका वोट बैंक टूटे । अकबर औवेसी जैसे लोग और AIMIM जैसे संगठन समाज और देश मे कोढ़ के समान है इन पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना जरूरी है ।

AIMIM संगठन आज का नही है बरसो पूराना संगठन है जिसने हमेशा मुस्लिम परस्त राजनीती की है और सदैव भारत के विरूध जहर उगला है  जो आज तक बदस्तुर जारी है

निखिल दाधीच
22 सितंबर 2014

निखिल दाधीच