कितनों ने सम्मान लौटाया ?


याद करो नौखाली जब कितने हिन्दू सर काटे थे।
हिन्दू अस्मत नीलाम हुई,क्यूँ बोल ना मुंह से फूटे थे।
गांधी नेहरू से ठेकेदार भी जब मांद में छुपकर बैठे थे।
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनो ने सम्मान लौटाया ?

जब इंदिरा ने आपात लगाया तब क्यूँ देश नजर ना आया?
सिसक रहा था लोकतंत्र काली अंधियारी रातों में।
आजादी थी बंधक और बेड़ी थी जे पी के पाँवो में।
तब कितनों ने आवाज उठाई? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

चौरासी में सिखों को जब मौत के घाट उतारा था।
एक तानाशाह की मौत के बदले कितने निर्दोषो को मारा था।
उन खून सने हाथो से लेकर तमगा, तूम मन में फूले थे।
लेकिन बतलाओ तब कितनों ने आवाज उठाई और कितनों ने सम्मान लौटाया?

नब्बे की काली रातों में जब बेघर हिन्दू रोये थे।
ना जाने कितनी माँओ ने आँख के तारे खोये थे।
जब घाटी के चौराहो पर बहनों की अस्मत लूटी थी
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

मुलायम ने डायर बनकर जब रामभक्तों को मारा था।
यूपी पुलिस की बंदूको से, बरसा मौत का लावा था।
सरयू का पानी लाल हुआ और मौत का मातम पसरा था ।
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

शोक मनाओ बेशक तुम बिसहाड़ा के पंगो पर
क्यों बोल नहीं निकले थे मुंह से भागलपुर के दंगो पर।
जब हत्यारों ने मासूमों के खून से होली खेली थी
तब कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

एक दादरी याद रहा क्यों मूडबिडरी भूल गए ?
एक हिन्दू की हत्या पर होंठ क्यों सबके चिपक गए ?
गौ माता के देश में जब हिन्दू गौरक्षक मरते है
कितनों ने आवाज उठाई ? कितनों ने सम्मान लौटाया ?

Written By : निखिल दाधीच